Be-naam Jazbaat

एक हलचल महसूस होती है तनहा ख़यालों में
बेचैन खामोशी का शोर सुनाई देता है उन्ही राहों में

तसल्ली की गुंजाइश भी कहाँ है इस दिल से
जो हर रात तारों के तले महरूम रहता है तुम्हारे साये से

कुछ यूँ सुला दी तुमने बातें अनकही और बातें अनसुनी
के वो इंतिकाल से भी लौट आए ये गवारा अब नहीं

सैलाब जैसे बह चुका था, सुर्ख़ आँखें नम कर चुका था
हर साँस का बोझ उठाना होगा, ये भी किसने सोचा था

ख़ुमार उनका ऐसा के ख़ुदगर्ज़ी नक़ाब ना पहचान सके
ख़ुदा से पहले इबादत जो कि उनकी
सज़ा-ए-इश्क़ में हम मारे गए


featured image by divaniindia

14 thoughts on “Be-naam Jazbaat

Leave a comment